
वार्षिक रिपोर्ट को समझना: कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट ऐसा दस्तावेज हैं जिसमे कंपनी की सालभर की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन का पूरा लेखा जोखा होता हैं। स्टॉक मार्केट में किसी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले कंपनी के व्यवसाय और उसके वितीय विवरणों को समझना जरूरी हैं। निवेशकों के लिए जो जानकारी महत्वपूर्ण होती हैं उसे कंपनी अपनी Annual Report (वार्षिक रिपोर्ट) में पेश करती हैं। आखिर वार्षिक रिपोर्ट को समझना निवेश की दृष्टि से एक निवेशक के लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं? इसे कौन और कब जारी करता हैं? एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट को कैसे पढ़े और उसका विश्लेषण कैसे करें ? आइये जानते हैं इन सब सवालों के जवाब इसी ब्लॉग में
Table of Contents
वार्षिक रिपोर्ट क्या हैं? (What is Annual Report in Hindi)
कॉरपोर्ट की दुनिया में वार्षिक रिपोर्ट का मतलब एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट से हैं। हर कम्पनी अपने व्यवसाय के पिछले वर्ष के कामकाज, व्यवसाय की प्रगति, भविष्य की योजनाएं और वित्तीय विवरणों को वार्षिक रिपोर्ट में पेश करती है।
कोई भी कंपनी हमेशा चाहती हैं की ज्यादा से ज्यादा निवेशक उसके व्यवसाय में निवेश करे। एक निवेशक के लिए कम्पनी के fundamental को समझने के लिए सबसे मुख्य स्रोत होती हैं वार्षिक रिपोर्ट । इसलिए वार्षिक रिपोर्ट का निर्गमन कम्पनी द्वारा अपने वर्तमान शेयरधारकों और भावी निवेशकों को ध्यान में रखकर किया जाता हैं।
हर कम्पनी वार्षिक रिपोर्ट में सेबी के नियमों के दायरे में रखकर निवेशकों को लुभाने के लिए स्वयं को एक अच्छी और निवेश के लिए उपयुक्त साबित करने की कोशिश करती है। कुछ निवेश विशेषज्ञों के अनुसार वार्षिक रिपोर्ट कम्पनी द्वारा लिए निवेशकों को लुभाने के लिए बनाया गया मार्केटिंग टूल हैं और निवेशकों को हमेशा इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए
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वार्षिक रिपोर्ट कब तैयार की जाती हैं?
एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट को तैयार करने की प्रक्रिया New Financial Year के साथ ही शुरू हो जाती हैं। भारत में कंपनियों के लिए वित्त वर्ष company law 2013 के तहत 1अप्रैल – 31 मार्च निर्धारित हैं। सामान्यत जुलाई से सितंबर माह के बीच सभी कंपनियां अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी कर देती है।
Company annual report deadline /due date
हर कम्पनी साल में एक बार AGM ( वार्षिक आम बैठक) करती हैं वार्षिक रिपोर्ट को AGM (Annual General Meeting)में ही शेयर धारकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता हैं। भारतीय कम्पनी अधिनियम 2013 के तहत कंपनी को यह बैठक 30 सितंबर से पहले करनी जरूरी हैं। इसलिए annual report की due date या deadline भी 30 सितंबर ही हैं।
भारत में ज्यादतर बड़ी कंपनियां वार्षिक रिपोर्ट को मई–जुलाई में ही जारी कर देती हैं। जबकि बाकी अन्य कंपनियां अपनी वार्षिक रिपोर्ट को जुलाई से सितंबर के बीच जारी कर ही देती हैं।
वार्षिक रिपोर्ट के निर्गमन की प्रक्रिया
एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट को निर्गमित करने की प्रक्रिया कुछ इस तरह होती हैं —
रिपोर्ट का अंकेषण/ जांच→ संचालक बोर्ड की मंजूरी→प्रिंटिंग व पीडीएफ बनाना→ Sebi व कंपनी रजिस्ट्रार के पास जमा करवाना→ शेयरहोल्डर्स को भेजना
कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट को उसके संचालक बोर्ड और प्रबंधक टीम द्वारा तैयार किया जाता हैं । लेखा व वित्त विभाग वित्तीय विवरणों (balance sheet, p&l statement) को तैयार करता हैं, स्वतंत्र ऑडिटर द्वारा annual report के वित्तीय आंकड़ों का ऑडिट किया जाता है कंपनी सेक्रेटरी (CS) द्वारा कानूनी अनुपालनो की जांच की जाती हैं ताकि रिपोर्ट company law और sebi की गाइडलाइंस के अनुरूप हो। इसके बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप कंपनी की डिजाइनिंग और पीआर टीम द्वारा दिया जाता हैं।
वार्षिक रिपोर्ट को निर्गमित करना हर कंपनी के लिए अनिवार्य हैं क्या?
भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के तहत हर कम्पनी ( सार्वजनिक, सूचीबद्ध,निजी और OPC यानी एक व्यक्ति कंपनी) के लिए वार्षिक रिपोर्ट को निर्गमित करना अनिवार्य हैं यदि कोई कंपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी नहीं करती हैं तो उस पर दंड और जुर्माना लगाया जा सकता हैं।
ध्यान रहे— सार्वजनिक कंपनी से मतलब सरकारी कंपनी से नहीं हैं। एक सार्वजनिक कंपनी वो होती हैं जिसके शेयर कोई भी व्यक्ति खरीद सकता हो।
कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट कैसे प्राप्त करें
दीर्घकालीन निवेश के लिए कम्पनी की वार्षिक रिपोर्ट को प्राप्त करना और उसे ध्यान से पढ़कर एनालिसिस करना अति आवश्यक हैं। आपके मन में कुछ सवाल जरूर होंगे जैसे
- मैं किसी कम्पनी की वार्षिक रिपोर्ट ऑनलाइन कैसे देखू ?
- वार्षिक रिपोर्ट की पीडीएफ कैसे डाउनलोड करू
- मुझे किसी कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट की हार्डकोपी कैसे मिलेगी ?
आइए जानते हैं कम्पनी की वार्षिक रिपोर्ट कहाँ से आनलाइन देख कर पीडीएफ में डाउनलोड कर सकते हैं
- कंपनी की वेबसाइट से — आप किसी भी कम्पनी की वेबसाइट में investors या उससे संबंधित पेज पर जाकर उसकी annual report को पीडीएफ में डाउनलोड कर देख सकते हैं।
- SEBI, MCA(ministry of corporate affairs) और स्टॉक एक्सचेंज साइट जैसे BSE व NSE की वेबसाईट पर भी हर कम्पनी की वार्षिक रिपोर्ट और अन्य जानकारियां उपलब्ध रहती हैं। इन वेबसाईट पर आप “Corporate Fillings” , “Announcements” या “Annual Report” जैसे वर्ड सर्च कर उन कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट देख सकते हैं जो अपलोड हो गई हैं।
- कुछ समाचार और निवेश विश्लेषण साइट जैसे Money Control , TickerTape और Screener.in से भी Annual report in PDF download की जा सकती हैं।
वार्षिक रिपोर्ट की हार्डकॉपी कैसे मिलेगी
एक कंपनी वार्षिक रिपोर्ट को निर्गमित करने के बाद उसकी हार्डकॉपी को अपने शेयरधारको और म्युचुअल फंड फर्मों को बांटती हैं यदि आप किसी कम्पनी की वार्षिक रिपोर्ट की हार्डकोपी अपने घर पर मंगवाना चाहते हैं तो इसकी एक शर्त हैं “एक कंपनी सिर्फ अपने शेयरहोल्डर्स को ही मांग करने पर वार्षिक रिपोर्ट की हार्डकॉपी भेजती हैं” कम्पनी के शेयर धारक बनने के लिए आपके पास Record Date तक कंपनी का कम से कम एक शेयर होना जरूरी हैं।
Record date
“कंपनी द्वारा शेयरहोल्डर्स को डिवीडेंड, बोनस देने, AGM में शामिल होने के लिए तय की गई तारीख होती हैं। BSE की साइट पर हर कंपनी की रिकॉर्ड डेट देखी जा सकती हैं।”
भारत में शेयर को खरीदने के बाद Demat Account में हस्तांतरित होने में T+2 दिन लगते हैं इसलिए शेयरहोल्डर बनने के लिए रिकॉर्ड डेट से 2 या 3 दिन पहले शेयर खरीदना सही रहता हैं।
एक बार यदि आप कंपनी के शेयरहोल्डर्स बन जाए हैं तो आप कंपनी को ईमेल करके वार्षिक रिपोर्ट की हार्डकॉपी Free Of Cost मंगवा सकते हैं। आपको अपने डीमैट खाता संख्या(DP ID) अथवा Client ID को बताना होगा। वार्षिक रिपोर्ट की हार्डकॉपी आपके डीमैट खाते के address पर भेजी जाएगी।
वार्षिक रिपोर्ट के मुख्य घटक ( Components of Annual Report In Hindi)
एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण अनुभाग होते हैं प्रत्येक अनुभाग में निवेशकों के लिए जरुरी जानकारी रहती हैं। एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में निम्नलिखित अनुभाग होते हैं
- कंपनी की प्रोफाइल
- वितीय हाइलाइट्स
- चेयरमैन का वक्तव्य
- शेयर धारकों को सन्देश
- संचालक बोर्ड की रिपोर्ट ( director’s report )
- मैनेजमेंट एनालिसिस और मैनेजमेंट डिस्कशन
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर रिपोर्ट
- Standalone और consolidated वित्तीय विवरण
- ऑडिटर्स की रिपोर्ट
- Csr रिपोर्ट (निगम सामाजिक उत्तरदायित्व की रिपोर्ट )
- Business sustainability report
- वित्तीय विवरणों से जुड़े नोट्स
वार्षिक रिपोर्ट को कैसे पढ़े और विश्लेषण करे ( How to read and analysis Annual Report in hindi)
किसी भी कंपनी के व्यवसाय में रूचि रखने वाले व्यक्ति या निवेशक के लिए वार्षिक रिपोर्ट के प्रमुख घटकों और उसमे दी गयी जानकारी को पढ़ना और उनका विश्लेषण करना जरूरी हैं। आइये जानते हैं एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के उपर्युक्त घटकों अथवा अनुभागो में निवेशको के लिए क्या जानकारी महत्वपूर्ण होती हैं और उन्हें किस तरह से पढ़े व विश्लेषण करे
कंपनी की प्रोफाइल
एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में सबसे पहला अनुभाग होता हैं कंपनी की प्रोफाइल। एक कंपनी के व्यवसाय को समझने के लिए इसमें कंपनी की मुलभुत जानकरी दी जाती है जैसे
- कंपनी का व्यवसाय और प्रमुख प्रोडक्ट्स क्या है
- कंपनी के संचालक, सेक्रेटरी, ऑडिटर्स और प्रबंधको की जानकारी
- कंपनी के ऑफिस और प्लांट्स के एड्रेस, वेबसाइट, मेल और संपर्क सूत्रों की जानकारी आदि
- कंपनी पिछले 10 वर्षो का वित्तीय हाइलाइट्स भी इसी में बताती है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कब कब कंपनी की बिक्री,आय और शुद्ध लाभों में वृद्धि हुई अथवा कमी। बैलेंस शीट के दोनो भागों (संपति व दायित्व) की मदों में हुए परिवर्तन भी यहीं पर देखे जा सकते हैं।
चेयरमैन का संदेश
एक कम्पनी में चेयरमैन ही वो महत्त्वपूर्ण व्यक्ति होता हैं जो कम्पनी के संचालन और उसके व्यापार की प्रगति में मुख्य भूमिका निभाता हैं। वार्षिक रिपोर्ट में निवेशकों को चेयरमैन के संदेश को ध्यान से पढ़ना चाहिए। चैयरमैन कम्पनी की पिछले वर्ष की व्यवसायिक गतिविधि की जानकारी देता हैं और कंपनी की भविष्य की योजनाओं, रणनीतियां और लक्ष्यों के बारे में बताता हैं।
चैयरमैन वक्तव्य में हमें सबसे ज्यादा ध्यान उनके शब्दों की तरफ देना चाहिए क्योंकि यदि कंपनी का प्प्रदर्शन औसत रहा हैं अथवा कम्पनी अपने वर्ष के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं रही तो चैयरमैन शब्दो को घुमा फिरा कर बता सकते हैं वो अपने वक्तव्य में शब्दो को बड़ी चतुराई से चुनेंगे
संचालक बोर्ड की रिर्पोट (Board of Director’s Report)
संचालक बोर्ड की रिपोर्ट एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट का महत्वपूर्ण अनुभाग होती हैं इसके अंतर्गत कंपनी के व्यवसाय की सामान्य गतिविधिया, वितीय सारांश, शेयर पूँजी, डिविडेंड,रिज़र्व और फाइनेंस की जानकारी प्रस्तुत की जाती हैं हालांकि इस रिपोर्ट में तकनीकी भाषा का ज्यादा इस्तेमाल होता हैं साथ ही सेबी के दिशानिर्देश की पालना के लिए उन चीजों को कंपनी के लिए प्रस्तुत करना अनिवार्य हो जाता हैं जो कि प्रायः हर वर्ष समान ही रहती हैं।
संचालक बोर्ड की रिपोर्ट में क्या देखना चाहिए
- वित्तीय सारांश (Financial Summary) में देखे कि
- देखे की कंपनी की आय, शुद्ध लाभ पिछले वर्ष के मुकाबले कितने बढे
- उत्पाद और उसके सेगमेंट के सेल्स वॉल्यूम बढ़ा या घटा
- कम्पनी ने उत्पाद पोर्टफोलियो में विस्तार किया या नहीं
- शेयर पूंजी में बदलाव हुआ हैं की नहीं ? आमतौर पर एसा तब होता है जब
- शेयर bonus issue किए जाए
- share buyback किए जाए या
- कम्पनी कर्मचारियों को शेयर देती हैं
- देखे की कंपनी ने वर्ष में कोई नया ऋण लिया है अथवा नहीं ? उसका उपयोग कहा होगा, नये ऋण लेने का उद्देश्य व्यवसाय का विस्तार करना हो सकता हैं या कंपनी पर वित्तीय दबाव भी हो सकता है; इसलिए cashflow और ऋण शोधन से जुड़े अनुपातो का विश्लेषण अवश्य करे
- कई बार कंपनी अपने पुराने ऋणों का भुगतान करती हैं तो यह कंपनी के cashflow की अच्छी स्थिति का सूचक होता हैं
- बोर्ड रिपोर्ट में directors की नियुक्ति से जुड़ा विवरण पढ़े देखे की संचालक बोर्ड की टीम में क्या बदलाव हुए
- Directors की सैलरी को अवश्य देखे और उसकीं औसत कर्मचारी वेतन से तुलना अवश्य करे
- देखे की कंपनी के chairmen का वेतन कंपनी के शुद्ध लाभ के 1% से ज्यादा तो नहीं हैं।
Corporate Governance Report
एक कंपनी में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मतलब होता है कंपनी की संचालन प्रक्रिया, उसके प्रबंधन और निर्णय लेने के सिस्टम को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना। यह इसलिए जरुरी है क्योंकि कंपनी के हितधारको जिसमे ग्राहक, शेयर धारक, ऋणदाता, सरकार, प्रतिस्पर्धी व्यवसाय और अन्य संस्थाए शामिल हैं उन सभी का हित सुरक्षित रहे।
कॉर्पोरेट गवर्नस रिपोर्ट में कंपनी बताती हैं की उसने वर्षभर में उन नियमो का पालन कैसे किया। इस रिपोर्ट में कंपनी के संचालक बोर्ड की सरंचना, वर्ष के दौरान हुई मीटिंग्स और महत्वपूर्ण बोर्ड समितियां की गतिवधि का ब्यौरा होता हैं।
कसी भी कंपनी में एक मजबूत कॉर्पोरेट गवर्नस का होना निवेशक के हितो की रक्षा सुनिश्चित करता हैं। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में यस बैंक(२०२०) और सत्यम कंप्यूटर सर्विस (२००९) जैसे कई उदाहरण हैं जहाँ निवेशको का सारा पैसा कॉर्पोरेट गवर्नस की नाकामियों और प्रबंधन में अश्थिरता के कारन डूब गया
इसलिए कॉर्पोरेट गवर्नस की रिपोर्ट को ध्यान से पढ़े और आश्वस्त करे कि
- सभी directors अपनी योग्यता को सुनिश्चित करते हैं
- Directors के पूर्व में लिए गए निर्णयों और उसके परिणमो की समीक्षा करे
- Directors के बैकग्राउंड को चेक करे
- क्या directors को कंपनी के व्यवसाय की पूरी समझ है
- साल भर में हुए मीटिंग्स में उनकी उपस्थिति की जाँच करे
प्रबंध चर्चा एवं समीक्षा (Management Discussion & Analysis in Hindi)
मैनेजमेंट डिस्कशन और मैनेजमेंट एनालिसिस में ही सबसे महत्वपूर्ण जानकारी होती हैं जो निवेशको को कंपनी के भविष्य की दिशा और प्रबंधको की सोच को समझने में मदद करती हैं। वार्षिक रिपोर्ट के इस खंड में प्रबंध सबसे पहले बाजार की स्थिति पर चर्चा करता हैं जिसमें देश और विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ कंपनी से समबन्धित उद्योग के ट्रेंड्स की चर्चा शामिल हैं
प्रबंध कंपनी के गत वित् वर्ष में हुए व्यापर की जानकारी देता हैं इसके अंतर्गत कंपनी के हर उत्पाद सेगमेंट की बिक्री संख्या और वृधि दर की साल दर साल की जानकारी देता हैं इसके अलावा कंपनी के अंतररास्ट्रीय व्यापर की संक्षिप्त जानकरी प्रस्तुत की जाती हैं।
प्रबंध आगे की संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में चर्चा करता हैं इसके अलावा इस अनुभाग में प्रबंध रिस्क मैनेजमेंट, internal control system, फाइनेंसियल रिव्यु, और ह्यूमन रिसोर्स के बारे में जानकारी देता हैं। आइये जानते हैं कि वार्षिक रिपोर्ट के इस अनुभाग को पढ़ते समय निवेशको को किन किन चीजो का ध्यान रखना चाहिए
प्रबंध चर्चा और समीक्षा (MD&A) को कैसे पढ़े ( how to read management discussion and analysis report in hindi)
प्रबंध चर्चा और समीक्षा से आपको एक चीज स्पष्ट हो जायेगी कि मैनेजमेंट कम्पनी की भविष्य की संभावनाओं किस नजरिए से देख रहे हैं।
इस खंड को एक बार ध्यान से पढ़ने के बाद आप निम्नलिखित सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करें इनके जवाब MD&A रिपोर्ट में ही मिल जायेंगे बशर्ते यदि आप रिपोर्ट को अच्छी तरह पढ़ते हैं:-
- क्या कंपनी के पास एक भविष्य में ग्रोथ की संभावनाएं हैं या नहीं ?
- कम्पनी को किस प्रोडक्ट या सेगमेंट से ज्यादा कमाई हो रही हैं ?
- उद्योग में क्या क्या ट्रेंड्स आ रहे हैं ?
- कम्पनी की उसके संबंधित मार्केट/ उद्योग में कैसी स्थिति हैं, क्या कम्पनी मार्केट लीडर हैं?
- कम्पनी के पास भविष्य में क्या क्या चुनौतियां और अवसर हैं? और क्या मैनेजमेंट स्पष्ट तौर पर चुनौतियों और अवसरों दोनों को बता रहा हैं?
- क्या कम्पनी का पूरा बिजनेस एक प्रोडक्ट या सेगमेंट पर निर्भर तो नहीं हैं?
- क्या कम्पनी का मैनेजमेंट उद्योग में आने वाले नए ट्रेंड्स या तकनीकों को अपनाने पर विचार कर रहा हैं?
- भविष्य में प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में विस्तार संभव होता दिख रहा हैं नहीं?
- रिस्क मैनेजमेंट के लिए कंपनी ने कौन कौन सी नीतियों का क्रियान्वन किया हैं
- कंपनी की आंतरिक नियंत्रण प्रणाली कैसी हैं? क्या कंपनी COSO ( Committee of Sponsoring Organizations) का पालन करती हैं?
वित्तीय विवरण और वित्तीय लेखो से जुड़े नोट्स ( Financial Statements and Notes to the Accounts )
एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यही होता हैं और इसलिए इसे सबसे पहले पढ़ा जाता हैं। जिस प्रकार एक स्कूल के छात्र द्वारा एक साल में की गई पढाई और उसकी मेहनत का नतीजा उसकी मार्कशीट में दिखाए गए मार्क्स में साफ दिख जाता हैं। उन नतीजो पर बच्चे के पेरेंट्स, दोस्तों, रिश्तेदारों और उनके टीचर्स की नजरे टिकी रहती हैं ठीक इस तरह कंपनी से जुड़े हितधारको के लिए भी वित्तीय विवरण एक मार्कशीट की तरह होते हैं और इन वित्तीय स्टेटमेंट्स में दिखाए गए नंबर्स ही कंपनी के पूरे साल के व्यवसाय और उसके वित्तीय प्रदर्शन का परिणाम दिखाते हैं।
वित्तीय विवरण के तीन भाग होते हैं
- आय विवरण ( इसे Profit & Loss Account भी कहते हैं )
- स्थिति विवरण या चिटठा (Balance Sheet )
- रोकड़ प्रवाह विवरण ( Cash Flow Statements )
फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स के बारे में हम आगे अन्य आर्टिकल में विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे यहाँ पर आपको यह जानना जरुरी हैं की कोई भी कंपनी वित्तीय विवरणों को दो तरीके से प्रस्तुत करती हैं।
- Standalone Financial Statements
- Consolidate Financial Statements
इन दोनों प्रकार के स्टेटमेंट्स में फ़र्क जानने के लिए हमें यह जानना जरुरी हैं किसी भी बड़ी कंपनी की कई छोटी सब्सिडियरी और सहायक कंपनियां होती हैं इसके अलावा एक कंपनी के कुछ joint vantures भी होते हैं इसलिए standalone statements में कंपनी अपने पृथक विवरण पेश करती हैं जबकि consolidated में कंपनी के सारे नतीजे ( सहायक व सब्सिडियरी कंपनियों के नतीजे समायोजित करने के बाद ) दिखाए जाते हैं
आइये इसे एक उदाहरण से समझते हैं :-
अमेरिकी सुपर स्टोर चैन कंपनी Walmart की सब्सिडियरी कंपनी हैं Flipkart , वालमार्ट की इसमें कुल 82% हिस्सेदारी हैं जबकि फ्लिपकार्ट खुद कई कंपनियों जैसे Myntra, Ekart आदि की होल्डिंग कंपनी हैं अब मान लीजिये फ्लिपकार्ट को एक वित्त वर्ष में 5000 करोड़ का मुनाफा हुआ लेकिन उसकी एक सब्सिडियरी कंपनी Myntra को उसी वर्ष में 1000 करोड़ का नुकसान हुआ हैं तो फ्लिप्लार्ट के standalone इनकम स्टेटमेंट में net profit 5000 करोड़ दिखायेगा लेकिन जब हम consolidated इनकम स्टेटमेंट्स को देखेंगे तो वहा पर समायोजित प्रॉफिट 4000 करोड़ दिखायेगा चूँकि myntra, flipkart की एक 100% सब्सिडियरी हैं इसलिए नुकसान को समायोजित कर दिखाया जायेगा।
एक कंपनी के वित्तीय स्टेटमेंट्स और वित्तीय लेखो से जुड़े नोट्स को पढना और उनका विश्लेषण करना एक निवेशक के लिए फंडामेंटल एनालिसिस का महत्वपूर्ण कार्य हैं इसे हम आगे दुसरे ब्लोग्स में विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे।
अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स
कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट एक बड़ी पुस्तक की तरह का दस्तावेज हैं सेबी के नियमों की अनुपालना के कारण कंपनी को इसमें वितीय विवरण, कॉर्पोरेट गवर्नस, ऑडिटर्स रिपोर्ट, मैनेजमेंट चर्चा व समीक्षा और बोर्ड की रिपोर्ट्स के साथ साथ अपने हितधारको के लिए आवश्यक अन्य सभी महत्वपूर्ण जानकारी को बताना अनिवार्य हो जाता हैं
हालाँकि इस रिपोर्ट का बड़ा हिस्सा तकनीकी भाषा में होता हैं जो कि प्राय हर वर्ष की रिपोर्ट में एक जैसा ही रहता हैं और उसे पढ़ना भी इतना महत्वपूर्ण नहीं हैं।
तो आइये आगे वार्षिक रिपोर्ट में शामिल अन्य छोटी रिपोर्ट जैसे ऑडिटर्स की रिपोर्ट, सीएसआर रिपोर्ट, business responsibility & sustainability report के बारे में संक्षिप्त में जानते हैं:-
CSR Report
सेबी के दिशा निर्देशों के तहत प्रत्येक कंपनी को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सामाजिक उत्तरदायित्व की गतिविधियों के बारे में बताना जरुरी होता हैं हर कंपनी या कॉर्पोरेट का समाज के प्रति उत्तरदायित्व रहता हैं इसलिए कंपनी को यदि वो company law २०१३ के तहत csr नियमों के दायरे में आती हैं तो उसे अपने पिछले तीन सालो के औसत शुद्ध लाभ का कम से कम २% CSR activities पर खर्च करना होता हैं। इस रिपोर्ट में कंपनी सामाजिक और पर्यावरणीय कार्योकर्मो और उन पर किये गए खर्च के बारे में ब्यौरा देती हैं ।
Business Responsibility & Sustainbility Report
कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में यह अनुभाग महत्वपूर्ण हैं मार्केट कैप के हिसाब से शेयर बाजार में लिस्टेड 1000 बड़ी कंपनियों के लिए इसे बनाना अनिवार्य हैं इसके अंतर्गत निवेशको के इंटरेस्ट से जुडी कई महत्वपूर्ण जानकारी रहती हैं जैसे—
- कंपनी की सामान्य जानकारी जैसे नाम, रजिस्टर्ड ऑफिस, प्लांट्स, व्यावसायिक गतिविधयां, कर्मचारियों की संख्या, सब्सिडियरी कंपनियां और सहायक उपक्रम आदि
- संचालन और उत्पाद- सेवाओं के बारे में जैसे हर उपाद गतिविधि का टोटल टर्नओवर में प्रतिशत, बिक्री में प्रतिशत, देश और विदेश में कंपनी के प्लांट्स, ऑफिस और सेल्स पॉइंट की संख्या और विभिन्न ग्राहक वर्ग के बारे में जानकारी
- होल्डिंग, सब्सिडियरी, सहायक कंपनी और सयुंक्त उपक्रमों के बारे में जानकारी
- हर principle के तहत प्रदर्शन NGRBC (National Guideline on Responsible Business Conduct) पर आधारित
- पर्यावरण, समाज और कंपनी के गवर्नेंस से जुडी जानकरी का प्रकटीकरण
तो दोस्तों, BRSR रिपोर्ट कंपनी सिर्फ कंपनी का एक स्कोरकार्ड हैं जो बताता हैं की कंपनी पर्यावरण और समाज के प्रति कितनी जिम्मेदार हैं और इसका कॉर्पोरेट गवर्नेंस कैसा हैं
Auditors reports
एक कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में दो तरह की ऑडिटर की रिपोर्ट होती हैं
- Statutory Audit Report ( इसे independent auditor report ) भी कहते हैं
- Secretarial Audit Report
आइये इन दोनों के बारे में जानते हैं
- Statutory Audit Report (Independent Auditor’s Report)
यह रिपोर्ट independent auditor जो कि कोई सीए फर्म या चार्टेड अकाउंटेंट द्वारा दी जाती हैं इसमें ऑडिटर्स यह बताते हैं की कंपनी के वित्तीय विवरण ( P&L, Balance Sheet, Cash Flow आदि ) सही और निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत किये गए या नहीं .
चूँकि कंपनी के वित्तीय विवरणों को बनाने में लेखा नियमों और अन्य कानूनों का पालन किया जाना अनिवार्य हैं इसलिए Auditor अपनी Opinion देता हैं
- Secretarial Audit Report
Secretarial Audit Report सामान्यतः बड़ी कंपनियों (जो कि पब्लिक और लिस्टेड होती हैं ) के लिए बनाना अनिवार्य होती है यह रिपोर्ट Practicing Company Secretary द्वारा दी जाती हैं यह रिपोर्ट बताती हैं कि कंपनी ने सिर्फ लेखा नियमों ही नहीं अपितु company act, SEBI नियमों, Depositories Act, Labour Laws, पर्यावरणीय कानूनों और अन्य कॉर्पोरेट कानूनों का पालन किया हैं या नहीं
इस ब्लॉग में आपने क्या सिखा ( Conclusion)
तो दोस्तों, इस ब्लॉग में हमने जाना कि स्टॉक मार्केट में लॉन्ग टर्म निवेश के लिए कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट को समझना बहुत जरूरी हैं क्योंकि वार्षिक रिपोर्ट ही निवेशको के लिए किसी कंपनी की बेसिक जानकारी का मूल स्रोत होती हैं लेकिन अधिकांश रिटेल इन्वेस्टर उसे पढना नजरअंदाज कर देते हैं क्योकि इस रिपोर्ट की भाषा भी इतनी जटिल और तकनीकी होती हैं तथा इसमें ज्यादातर चीजे सिर्फ फॉर्मेलिटी के लिए रखी जाती हैं। इसकी लेखन शैली हमेशा सकारात्मक रहती हैं लेकिन निवेशको को हमेशा इसे संदेह की नजर से पढना चाहिए
annual report के पीछे छूपे राज क्या होते हैं? या वार्षिक रिपोर्ट का अनदेखा हिस्सा जो होता हैं उसे जानने की कोशिश निवेशकों को जरुर करनी चाहिए एक कंपनी के साथ में कई तरह के रिस्क फैक्टर भी होते हैं जैसे क़ानूनी मुकदमे, कंपनी के संचालको में किसी की नियत का साफ नहीं होना, अथवा आंतरिक कलह आदि
इसलिए कंपनी कभी भी इसे वार्षिक रिपोर्ट में बताने कि कोशिश नहीं करेगी जिसका निवेशको पर नकारात्मक प्रभाव पड़े हमें कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट की पारदर्शिता अथवा सच्चाई को जानने की कोशिश करनी चाहिए
कंपनी के चेयरमैन और मैनेजमेंट डिस्कशन को ध्यान से पढना जरूरी हैं। क्योकि किसी भी तरह के नुकसान अथवा फाइनेंसियल दबाव की स्थिति में भी वो अपने इसे बड़ी चतुराई के साथ सकारात्मक शब्दों में बताने की कोशिस करेंगे। आखिर में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कम्पनी के वित्तीय आंकड़े और वित्तीय स्टेटमेंट ही हैं जो निवेशक के लिए महत्वपूर्ण है।
हमें किसी कंपनी की annual report को पढ़ते समय उस उद्योग की दूसरी कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट भी पढ़नी चाहिए तथा कंपनी की पिछले वर्षो को annual report से भी परस्पर तुलना करनी चाहिए ताकि कंपनी में होने वाले परिवर्तन और उसकी ग्रोथ को अच्छे से समझ सके।